Thursday, January 29, 2009

द भै, ब्वारी क्य बोन तब !


मींकु  ब्वारी ढूँढी मेरा बुबन,         
इनी ळंबटांग्या स्वोणी ,                   
जन क्वी झंगोरा का बीच कौणी ,
अर् बांदुरु का बीच  ग़ोणी !


तडतडी च नाक व्वींकी,
जन  दाथ्डै  की चोंच होंदी,
अर् चौंठी पर तिल च इनु.
जन क्वी मोटी कौंच होंदी !


हैंस्दी मुखडी व्वींकी इन दिखेंदी,
जन्बुले हो रोंणी,
मीं कू ब्वारी ढूँढी मेरा बुबन,
इनी ळंबटांग्या  स्वोणी  !


बोल्दी दा इन छुट्दन तैन्का,
गिच्चा बिटिक बोल,
मंडाण मा कखी बजणु हो,
जन क्वी फुट्यु ढोल !


जब देखा स्य धारा  परै,
मुख् ही रन्दि धोणी,
मीं कू ब्वारी ढूँढी मेरा बुबन,
इनी ळंबटांग्या  स्वोणी  !


सेडी सुर्म्याऴी आंखी रंदीन,
गीत क्वी सुणाणी,
देखदी दां कन  रै बबा तेरी,
खोपडी स्या खजाणी !


जन तव्वा कु थौरु होन्दु,
इनी  तैंकी हाथि -गौणी,
मीं कू ब्वारी ढूँढी मेरा बुबन,
इनी ळंबटांग्या  स्वोणी  !


Note: 
विद ड्यू रेस्पेक्ट,  सर्वप्रथम तो यह कहूंगा कि आप इसे किसी के उपहास के तौर पर बिलकुल भी न लें, यह कविता सिर्फ मैंने हास्य-विनोद  और मनोरंजन के लिए लिखी है , इससे किसी के मन पर अगर कोई ठेस पहुचे तो उसके लिए भी अग्रिम क्षमा ! कविता का सार यह है कि बेटा अपने पिताजी को कोसते हुए कह रहा है कि पता नहीं मेरे बापू की क्या खोपड़ी खुजला रही थी जो इस लम्बे टांगो वाली हसीना(ळंबटांग्या स्वॉणी ) को मेरे लिए ढूंढा !

-गोदियाल

Wednesday, January 21, 2009

दो शब्द !

My Grand  Maa late Swaree Devi
बंधू ! बस यूँ समझिये कि लेखन के प्रति लगाव या यु कहूँ कि एक जूनून बचपन से था ! आज उम्र के इस मुकाम पर पहुँच कर अफ़सोस यही रहता है कि मैं अपने लेखन को संजो कर नही रख सका ! लिखता था, दो चार दिन पढता था और फिर फाड़ कर फ़ेंक देता था ! कहीं कोई डायरी लिखी भी तो पिता फौज में थे, हर दुसरे -तीसरे साल बदली हो जाती थी कभी अरुणांचल तो कभी जामनगर, कभी केरला तो कभी श्रीनगर ! और इस अदला बदली में बहुत कुछ छूट जाता था, जो कॉफी किताब या डायरिया होती वो वहीँ छूट जाती ! नवी- दसवी गाँव के स्कूल से की थी ! रात को जब लोग चैन की नींद सो रहे होते थे तो मैं लैंप ( लम्पू ) के आगे लिख रहा होता था ! उस समय की लिखी एक छोटी सी पहाडी कविता की कुछ पंक्तिया याद आ रही है , इन्हे ग़लत तरीके से मत लेना ! भले ही यह हास्यास्पद हो, लेकिन एक बाल्यकलाकार ने जो कुछ देखा, उसका चित्रण किया :

कविता का शीर्षक था " धत्त तेरे पहाडी की "

ऩ्हॆण-धुयेण नी मैनो तक,
थेग्लों पर बास आँदी इन ,
जन लुव्हे की कड़ये पर आंदी, 
बासी कोदा का बाड़ी की !
धत्त तेरे पहाडी की !

नाक मूंद सिंगाणा का धारा, 
गिचा मूंद बौग्दु ऴाळु,
सलवार कु नाडू त् 
संभाल नि सकदु,
अर बात करदू खाड़ी की !
धत्त तेरे पाहडी की !!

दिनभर हुक्का फुकुण,
काम कि दां कोणा लुकूण,
उलटू भांडू सुलटु कै नी सकण,
अर बतीसी दिखौंण
गिच्चू फाड़ी की, 
क्य तारीफ़ करू त्व्ये अनाडी की !
धत्त तेरे पाहडी की !!

कलात्मक गुण तो हर इंसान के अन्दर होता है, जरुरत होती है, उसे बाहर लाने के लिए एक सुद्र्ड प्रेरणा की ! हमारे अपने बड़े-बुजुर्गो से पहाड़ के अनेक कवियों के बारे में सुना और इसी से आगे कुछ लिखने की प्रेरणा मिली ! बहुत पहले ऐंसे ही एक कवि थे, और शायद आप भी उनसे परिचित होंगे ! वो थे, महंत योगेन्द्र पुरी ; अपने बड़े बुजुर्गो से उनकी कविता के चर्चे सुने , कुछ पंक्तियाँ याद है जरा आप भी पढिये:

जिंदगी कु दिन एक आलू 
वारंट दीकी यम् त्वे बुलालू 
जल्दी त्वे सणी वख जाण होलू 
सामल भी साथ नि लिझाण होलू 
कुडी व पुंगडि, धन, माल, माया, 
नौना-जनाना छन जौंका प्यारा
धर्यु ढकायुं सब छूटी जालू 
वारंट दीकी जब यम् त्वे बुलालू.............................................!

सोचिये, कितनी गूढ़ बातें कही हैं कवि ने !!
धन्यवाद
गोदियाल
मेरा यानी गोदियाल वंश का शुरूआती इतिहास !सोलह्वी सदी के आस-पास उत्तरांचल मे, खासकर समूचे गढ्वाल क्षेत्र के ब्राह्मणो मे अपनी उपजाति(सरनेम) के साथ ’याल’ अथवा ’वाल’ जोड्ने की प्रथा काफ़ी प्रचलित थी! जिस उपजाति के साथ ’याल’ जुडा होता था, जैसे नौटियाल, थपलियाल, गोदियाल,सेमवाल, जुयाल,पोखरियाल,सुन्दरियाल,बौठ्याल इत्यादि , तो परिचय देते वक्त सुनने वाला सहज यह अन्दाजा लगा लेता था कि परिचयदाता ब्राह्मण जाति का है ! पन्द्रहवी-सोलह्वी सदी का वक्त काफ़ी धार्मिक उथल-पुथल वाला माना जाता है ! पहाडो मे हिन्दू धर्म को मानने वाले मुख्यत: तीन वर्गो अथवा जातियो मे बंटे थे; ब्राहमण, क्षत्रिय और शुद्र ! इन अलग-अलग वर्गो और जाति के लोगो ने स्थान, देश और ऐतिहासिक्ता के आधार पर अपनी अलग-अलग उपजातिया बनाई !

गोदियाल वंश का उदय सन १५५० और १६०० ई० के मध्य हुआ माना जाता है, जब नौटियाल उप-जाति का एक ब्राहमण परिवार, कर्ण-प्रयाग से करीब पचास किलोमीटर आगे, गढ्वाल और कुमाऊ की सीमाओं के मध्य स्थित नौटी गांव से निकलकर, अनेक दुर्गम पहाडियों को पार करता हुआ, फतेह्पुर, बरसौडी (राठ शेत्र) होता हुआ, वर्तमान पौडी जिले के गोदा नामक गांव मे पहुचा और वही जाकर बस गया ! तत्पश्चात गांव के नाम के आधार पर अपनी उपजाति ’नौटियाल’ से बदल कर ’गोदियाल’ रख ली, और फिर यहां से इस गोदियाल वंश का उदय हुआ ! अबका तो खैर ज्यादा मालूम नही, किन्तु पुराने वक्त में यही वजह थी कि नौटीयालो और गोदियालो के बीच शादी के रिश्ते नहीं होते थे ! उस समय इस गोदा गांव के आस-पास पांच-सात कन्डारी उपजाति के क्षत्रिय परिवार रहते थे, आस-पास कोई और ब्राह्मण परिवार न होने की वजह से उन्होने इस ब्राह्मण परिवार को अपना राज-गुरु बना लिया ! और तभी से यह प्रथा शायद आज तक चली आ रही है !

समय बीतने पर इस परिवार ने भी बढ्ना शुरु किया और अठ्ठारवीं सदी तक पहुंचते-पहुंचते एक भरे पूरे गांव की शक्ल मे परिवर्तित हो गया ! फिर जैसा कि अमूमन होता है, परिवार मे लोगो के बढ्ने और रोजी-रोटी के साधनो के सिमट्ने से भाईयो और सगे-सम्बंधियो मे आपस मे कटुता बढ्ने लगी और धीरे-धीरे गोदियाल परिवार यहां से भी बिखरना शुरु हुआ ! यह बात मै अपने तजुर्बे के आधार पर लिख रहा हूं कि शायद तभी से यह अभिशाप(मै तो इसे अभिशाप ही कहुंगा) इस गोदियाल जाति के साथ चला आ रहा है कि हालांकि इस जाति के लोगो ने हर स्तर पर सराह्नीय प्रगति की, मगर कहीं भी ये लोग दो , अधिक से अधिक तीन पीढियो से ज्यादा एक स्थान पर नही टिक पाये, और अब तो आलम यह है कि एक पीढी से आगे ये लोग एक जगह स्थिर नही रह पा रहे हैं !

अठ्ठारवीं सदी के शुरुआत मे जब लोग इस गोदा गांव से निकले तो बिखरते चले गये ! कुछ परिवारो ने पहाडो मे ही अन्य स्थानो पर अपने ठिकाने तलाशे तो कुछ मैदानी इलाको जैसे देहरादून, चन्डीगढ, बिजनौर तथा दक्षिण मे आन्ध्रा प्रदेश, कर्नाटका के हुबली-धारवाड़ तथा गोवा की ओर प्रस्थान कर गये ! मैदान की ओर गये कुछ परिवारो ने गोदियाल उपजाति का परित्याग कर अपनी नई उपजाति शर्मा रख ली ! कुछ लोग जो आन्ध्रा प्रदेश, कर्नाटका तथा गोवा मे बसे थे, उन्होने अपनी उपजाति तो गोदियाल ही रहने दी, मगर धर्म बदलकर मुसलमान बन गये, मसलन इस्माइल गोदियाल, अमानुल्ला गोदियाल, सलमा गोदियाल, अताउल्ला गोदियाल ,परवेज गोदियाल, इत्यादि ! इनमे से कुछ मुस्लिम परिवार बंगलौर मे भी बसे है !
(इससे आगे का हिस्सा सुरक्षा कारणों से हटा दिया गया है और यदि इसमें किसी भी सज्जन का अपना आगे कोई ऐतिहासिक लिंक नजर आता है तो कृपया उसकी डिटेल मुझे इ-मेल करे, अथवा मेरे नीचे दिए गए ब्लॉग पर भी आप अपनी प्रतिक्रिया छोड़ सकते है ! मैं उसके आगे की जानकारी जितनी मेरे पास उपलब्ध है, आप लोगो को दूंगा ! मैं आपको विस्वास दिलाता हूँ की सभी सूचनाये गोपनीय रखी जायेंगी ! साथ ही आप लोगो से प्रार्थना करुंगा कि यदि आपको इस वंशीय इतिहास की कोई और ठोस जानकारी हो( चाहे वह छोटी सी जानकारी ही क्यो न हो), तो कृपया मुझे मेल करे, मै इसके लिये आपका आभारी रहुंगा, और आप से यह भी निवेदन करुंगा कि इसमे जहां कही पर आपको अपने बंश के उल्लेख की कडी मिले उससे आगे का अपना इतिहास स्वयं लिखे और उसमे अपनी वर्तमान पीढी के नामो का उल्लेख करें, तथा वर्तमान और आने वाली पीढियों को भी इसे आगे लिखते रहने के लिए प्रेरित करे ! यह बंशीय परिचय मैने किसी दुराग्रह से ग्रसित होकर नही लिखा, फिर भी यदि भूल से किसी बात का कोई अधूरा या गलत उल्लेख हो गया हो तो उसके लिये क्षमा प्रार्थी हूं !)
धन्यवाद !
आपका,

My Grand Parents late Mr. & Mrs. Jaya Nand Godiyal

'मिन त गीत पुराणु ही गाण' !

सुणिई त ह्वालि तुमारी,  व औखाण,
'कि आदू कु स्वाद, बल बांदर क्य जाण',
तुमितै मुबारक हो या भौ-भौ 
अर् ढीकचिक-ढीकचिक,
भै, मिन त गीत पुराणु ही गाँण !

बैण्ड परैं  नाचदा यी रमपम बोल,
दाना-स्याणौं  कु उड़ान्दा मखौल,
छोडियाली यून अब ढोल-दमाऊ,
मुसिकबाजु,शिणे त कैन बजाण,
पर मिन त गीत पुराणु ही गाण !

अबका नौन्यालू कि इखारी रौड़,
बाबै  मोणी मा फैशन की दौड़,
यी क्य जाणा मुण्ड मा टोपली
अर् कन्धा मुंद छातू लिजाण,
भै ! मिन त गीत पुराणु ही गाण !

पढोंण का खातिर यूँ तै भेजि स्कूल,
अददा बट्टा बिटिकी ये ह्वैग्या  गुल,
घुम्या-फिरया यी कौथिक दिनभर
दगडा मा लिकी क्वि गैला-दगडीयाण,
भै ! मिन त गीत पुराणु ही गाण !

मुसेडै की डौर अर पैंसों  कि तैस,
चुल्लू उजड़ीगे और ऐगिनी गैस,
यी क्य जाणु कन होंदी बांज कि लाखडि
अर् व्यान्सरी मु फूक मारी  गोंसू जगाण,
भै ! मिन त गीत पुराणु ही गाण !

काटण छोडिक लाखडु अर् घास,
खेलण लग्यां छन तम्बोला तास,
घर मु गौडी-भैंसी चैन्दि लैंदी सदानी,
अर बांजी गौडी-भैंसी कख फरकाण,
भै ! मिन त गीत पुराणु ही गाण !

पेण कु चैन्दि यु तै अंग्रेजी रोज,
बै-बुबगी कमाई मा यी करना मौज,
जब कभी नि मिलू यु तै अग्रेजी त्
देशी ठर्रा न ही यूँन काम चलाण,
भै ! मिन त गीत पुराणु ही गाण !

खाणौ मा बर्गर-पीजा और चौमिन-दोशा,
नि मिली कभी त बै-बुबौऊ तै कोशा,
हेरी नि सकदा यु कोदा झंगोरू तै,
कफली अर् फाणु त यून कख बीटी खाण,
भै ! मिन त गीत पुराणु ही गाण !

बदन पर युंका लत्ती न कपडि और,
वासिंग मशीन भी यी लैग्या घौर,
इनी राला घुमणा नांगा पत्डागा त
आख़िर मा ठनडन पोट्गी भकाण,
भै ! मिन त गीत पुराणु ही गाण !

फैशन मुंद युंका इनु पड़ी विजोक,
कमर युंका इन जन क्वि सुकीं जोंक,
डाईटिंग कु युंकू इन रालू मिजाज
त डाक्टर मु जल्दी यूं पड़लू लिजाण
भै ! मिन त गीत पुराणु ही गाण !

भिन्डी क्य बोलू आप दगडी यांमा मैं,
आप भी पढ़या-लिख्या और समझदार छै,
सुधर्ला त अच्छी बात नि सुधर्ला त
बूडेन्द्दी दा तुमन ही आपरी खोपडी खुजाण,
भै ! मिन त गीत पुराणु ही गाण !


Friday, January 2, 2009

आर्थिक जागरूकता और उत्तराखंड !

यह लेख मैंने करीब एक साल पहले उत्तरांचल की साईट पर लिखा था और अपने भाई बन्धुवों के लिए अपने Blog पर अब पोस्ट कर रहा हूँ !

This was a piece of News around March,2008
Buffett 'becomes world's richest'

US investment guru Warren Buffett has ousted his friend and occasional bridge partner Bill Gates as the world's richest man, Forbes magazine says. The Microsoft co-founder had topped the Forbes business magazine's rich-list for the past 13 years.
Mr Buffett's wealth increased by $10bn (£5bn) last year to $62bn.
Mr Gates's fortune climbed by $2bn during the same period, dragging him down to third on the list with a fortune of $58bn.
He was narrowly pipped into second place by the Mexican communications magnate Carlos Slim Helu, whose $60bn net worth has doubled in the past two years, Forbes reports
FORBES TOP 10 (in $bn) Warren Buffett (US): 62 Carlos Slim (Mexico): 60 Bill Gates (US): 58 Lakshmi Mittal (India): 45 Mukesh Ambani (India): 43 Anil Ambani (India): 42 Ingvar Kamprad (Sweden): 31 KP Singh (US): 30 Oleg Deripaska (Russia): 28 Karl Albrecht (Germany): 27
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxदोस्तो ! यह बात आप और मैं अच्छी तरह से जानते है कि हमारे उत्तरांचल की अर्थव्य्व्स्ता आज भी एक मनीआर्डर आधारित अर्थ व्यवस्था है ! मुल्क का ६० फिश्दी युवा या यो कहिये पुरूष वर्ग या तो आर्मी में या फ़िर पुलिश में है ! सीमित साधनों के चलते हम लोग एक निश्चित सीमा से बाहर देखने को भी राजी नही ! हमे यह नही भूलना चाहिए कि भारत में जो आर्थिक विकास की धूम पिछले २-३ सालो में थी /है, वह युवा पीढ़ी की वजह से है, भारत की अपार कुशल और आत्मविश्वास से भरी युवा शक्ति जो न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैउसके पास कमी है तो बस आत्मविश्वास की! सबसे बड़ी बाधा यही है कि हम हर काम का शॉर्टकट खोजने लगते हैं ! शिक्षा, काबिलियत और स्वास्थ्य प्रबंधन के बिना उतरांचल की युवा जनता आर्थिक और सामाजिक तौर पर देश के लिए सहायक साबित होने की बजाये बोझ बन सकती है ! हमे ऊर्जा के इस्तेमाल, जल प्रबंधन और जनता को जागरूक बनाने में सहयोग देना होगा ! हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तरांचल और जम्मू-कश्मीर में विकास की दर भारत की औसत विकास दर से कम है ! हमारे देश के पास अमरीका के बाद सबसे अधिक इंजिनीयर, डॉक्टर और विशेषज्ञ हैं ! दूसरी तरफ़, भारत में आज भी 26 करोड़ से ज़्यादा लोग ग़रीबी की रेखा से नीचे जी रहे हैं! एक सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार 31 करोड़ लोग अपने ऊपर प्रतिदिन बीस रुपए भी ख़र्च नहीं कर पाते ! लगभग आधी आबादी को साफ़ पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएँ नसीब नहीं हैं. जनविकास तालिका में भारत आज भी 126वें पायदान पर है!फिलहाल हमारी विकास दर चीन के बाद सबसे अधिक है, लेकिन गाँवों से पलायन का दौर तो अब भी जारी है ! यह कैसा विकास है, जहाँ गाँवों में आज भी बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाएँ नहीं हैं ! बेशक, भारत मे प्रतिभा की कोई कमी नहीं है ! आँकड़े कहते है कि भारत मे विकास भी हो रहा है! पर सच ये है कि उसकी अब तक की सफ़लता मे खुद से ज़्यादा दूसरों की भागीदारी रही है ! भारत को अपनी तकनीकी विकसित करनी चाहिए ताकि वह दूसरों पर आश्रित न रहे. तभी भारत महाशक्ति बन सकता है ! भारत की सबसे बड़ी ताकत है प्रचुर प्राकृतिक संसाधन,पर्याप्त श्रम शक्ति एवं बौद्धिक योग्यता, सबसे बड़ी कमज़ोरी है उचित प्रशासनिक प्रबंधन एवं नियंत्रण की योग्यता का अभाव, इसके अलावा स्वार्थ की तुच्छ राजनीति में आमजन का सहयोग भी बड़ी बाधा है !
यह तो हुई प्रस्तावना या यो कहिये भाषण बाजी ! अब रुख करते है दूसरी और, कि कैसे हम अपने उत्तरांचल की अर्थ व्यवस्था को सुधार सकते है, लोगो का रहन-सहन उपर ला सकते है ! अब मैं एक सवाल करूँगा, क्या आपने कभी शेयर बाज़ार में निवेश किया है? शेयरबजार करोड़पति भी बना सकता है और रोडपति भी जैसा की अभी हम देख रहे है ! जिसकी सोच इसमें नहीं है और धीरज भी नहीं है और आर्थिकता भी नहीं है, उसे यह नहीं करना चाहिए ! हां यदि घुश्ना ही है तो शेयर बाज़ार में दाखिल होने से पहले उसे अच्छी तरह से समझ लिया जाए तो काम थोड़ा आसान हो जाता है! शेयर बाज़ार कभी भी उन लोगों के लिए नहीं रहा जो चंद दिनों में अमीर होना चाहते है. पिछले कुछ दिनों में आई तेज़ी से लोगो ने समझा कि ये पैसा दूगुना करने का एक आसान रास्ता है. लेकिन इस मंदी ने उनके अरमानों पे पानी फ़ेर दिया. अब यही लोग पैसा निकालने को बेताब हैं. ख़ैर ये गिरावट अस्थाई है. धैर्य रखें. यह व्यवसाय का ही एक हिस्सा है ! यदि आप मुनाफ़ा की सोच रहे हैं तो घाटा उठाने के लिए भी तैयार रहिएभारतीय शेयर बाज़ार दीर्घकालीन निवेशकों के लिए बहुत मज़बूत है. इसका असर तो कम समय के लिए निवेश करने वालों पर पड़ेगा. यह जो हुआ इसकी तो पहले से ही अपेक्षा की जा रही थी और आने वाले समय में यह एक और मील का पत्थर साबित होगा.

सफलता बहुत से कारकों पर निर्भर करती है. हर कोई विदेश जाकर पैसे कमाना चाहता है और कमाता भी है लेकिन अपना सब कुछ ताक पर रखकर, अपनी आत्मा को मारकर, अपने उसूलों से हटकर, अपने परिवार से दूर रहकर पैसे तो कमा लेता है लेकिन अपने सपनों को फिर भी पूरा नही कर पाता !

हमारा लक्ष्य है "एक सुद्रिड और सक्षम उत्तराखंड" और मैं समझता हूँ कि आर्थिक एवं सामजिक क्रांति के बिना हम विकसित उत्तराखंड और एक विकसित राष्ट्र नहीं बन सकते !
इसकी कोई गारंटी नहीं कि आपकी सभी अपेक्षाएँ पूरी हो जाएं लेकिन कुछ नहीं से कुछ सही.अगर अपने देश में हम ( उत्तराखंडी) भी अन्य प्रांतो के समृद्ध नागरिको के साथ कदम से कदम मिला कर चलना सीख ले तो निश्चित रूप से हम भी बहुत आगे पहुच जायेंगे ! अगर उत्तराखंड समृद्ध होगा , यहा कि प्रतिभा क्यो मैदानों कि ओर रूख करेगी ? मगर अफ्शोश के साथ यह कहना पड़ता है कि उत्तराखंड के लोग इस और इतने जागरूक नही है ! एक फौजी जब रिटायर्ड होकर घर आता है तो अपने सारे जीवन कि खून पसीने की कमाई से या तो गाँव में एक मकान बनाता है या फिर एक महेन्द्रा की जीप लेकर लोकल रूट पर डाल देता है ! परिणाम क्या निकलता है, इससे आप सभी वाकिफ होंगे ! आज अगर आप देखे तो पावोगे कि देश का पश्चमी और दक्षिण भारत अन्य पर्देशो कि तुलना में काफी आगे बढ गए है ! कारण, वहा के लोगो में आर्थिक जागरूकता ! हमे अपनी आर्थिक प्रगति के सभी अवसरों को ठीक से तलाशना होगा और उन पर अमल करना होगा ! ऐसा ही एक अवसर है अपने धन का स्मार्ट निवेश ! आए देखे यह स्मार्ट निवेश है क्या बला !
जैसा कि मैंने सुरु में आज कि ताज़ा ख़बर का एक हिस्सा कट एंड पेस्ट किया " वारेन बफेट " ! क्या था यह इंसान - अमेरिका का एक मामूली सा निवेशक ! लकिन उसने अपनी पूंजी को सही तरीके से इन्वेस्ट किया और आज दुनिया का सबसे अमीर इंसान बन गया !

मैं समझता हू कि कम से कम अगले ५-६ सालो तक देश के पास इतने आर्थिक अवसर है कि भारत कि अर्थ व्यवस्था के लिए अमेरिका कि तरह Stegnant (रुकाव) कि कोई समशया नही है ! अतः अपने सीमित साधनों से हम उत्तरांचली जो कुछ भी पूंजी बचाते है उसे इश तरह से इन्वेस्ट करे कि हमे उसकी अच्छी रिटर्न मिले ! और ऐंशी सुरक्षित और उन्नत रिटर्न पाने का एक तरीका है , मुचुअल फंड में निवेश !

आये देखे क्या है यह मुचुअल फंड और केंसे करे इस में निवेश:
मुचुअल फंड में निवेशक अपनी रकम किसी मुचुअल फंड को थमा देता है, जिसके विशेषज्ञ ( FUND MANAGERS) अपनी समझ के हिसाब से निवेश करते हैं और फिर उसके लाभ या हानि के परिणाम निवेशकों के बीच बांटते हैं। पर यह समझना का कि मुचुअल फंड के विशेषज्ञ हमेशा ही ठीक कदम उठाते हैं, गलत है। तमाम निवेश विश्लेषण गलत हो जाते हैं, तो इन फंडों के रिजल्ट भी खराब आ सकते हैं। अतः यह भी दिमाग में रखे कि इश्मे हमे एक सीमित मात्रा में जोखिम उठाने के लिए भी तैयार रहना चाहिए !
अब ऐसे मुचुअल फंड उपलब्ध हैं, जिनका शेयर बाजार में कारोबार होता है, यानी जिन्हे शेयर की तरह खरीदा-बेचा जा सकता है। एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ इसी तरह के फंडों की श्रेणी में आते हैं। किन कंपनियों में निवेश किया जाये, यह निर्णय अगर मुचुअल फंड के मैनेजरों के पास छोड़ दिया जाये, तो हो सकता है कि उनके निर्णय गलत हो जायें।
इस स्थिति से निपटने के लिए एक और ईजाद की गयी है-ये है इंडैक्स आधारित फंड की। इस तरह के फंड में मुचुअल फंड मैनेजरों के पास यह छूट नहीं होती कि वे जिस कंपनी में चाहें, निवेश कर लें, उन्हे उन्ही कंपनियों में निवेश करना होता है, जो कंपनियां संबंधित इंडैक्स में शामिल होती हैं। जैसे अगर कोई मुचुअल फंड सेनसेक्स आधारित फंड चला रही है, तो उसके लिए यह अनिवार्य है कि वह सेनसेक्स की तीस कंपनियों में ही निवेश करें। मोटे तौर पर कहें तो इंडैक्स आधारित फंडों में फंड के मैनेजरों की अक्लमंदी पर कुछ नहीं छोडा जाता, उनसे उम्मीद की जाती है कि वे चुनिंदा इंडैक्स को फालो करें। यानी इंडैक्स फंड में मुचुअल फंडों के लिए करने के कुछ खास नहीं रह जाता है। शोध वगैरह करने की जरुरत नहीं होती। सीधे तौर पर इंडैक्स वाली कंपनियों में निवेश करके के अपने दायित्व पूरे कर सकते हैं। यानी इंडैक्स आधारित फंड में खर्च भी कम आता है।
इंडैक्स फंड अभी भारत में बहुत पापुलर नहीं हुए हैं। पर अमेरिका में इनकी खासी लोकप्रियता है।
आंकड़े ये बताते हैं कि सूरमा से सूरमा मुचुअल फंड मैनेजर इंडैक्स को लगातार नहीं पीट पाते। इसका मतलब यह हुआ कि अगर तीस कंपनियों पर आधारित सेनसेक्स एक साल में पचास प्रतिशत बढता है, तो बहुत कम मुचुअल फंड होंगे, जिन्होने पचास प्रतिशत से ज्यादा का रिटर्न दिया होगा। यानी बहुत कम मुचुअल फंड सेनसेक्स को पीट पा रहे हैं। ऐसी सूरत में सीधे सेनसेक्स में निवेश कम जोखिम वाला माना जा सकता है।
मुंबई शेयर बाजार की सेनसेक्स के अलावा भारतीय शेयर बाजार में और भी इंडैक्स हैं। नेशनल स्टाक एक्सचेंज का पचास शेयरों पर आधारित सूचकांक निफ्टी है। अपेक्षाकृत कम बड़ी कंपनियों पर आधारित सूचकांक निफ्टी जूनियर है। बैंकिंग शेयरों पर आधारित सूचकांक बैंकेक्स है। आटो कंपनियों के शेयरों पर आधारित सूचकांक आटो इंडैक्स है।
भारत में ये इंडैक्स फंड उपलब्ध हैं-
बैंकिंग बीस, बिरला इंडैक्स, केनेरा निफ्टी इंडैक्स, फ्रेंकलिन इंडिया इंडैक्स बीएसई इंडैक्स, फ्रेंकलिन इंडिया इंडैक्स एनएसई निफ्टी, एचडीएफसी इंडैक्स निफ्टी, एचडीएफसी इंडैक्स सेनसेक्स, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इंडैक्स, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल स्पाइस, एलआईसीएमएफ इंडैक्स निफ्टी, एलआईसीएमएफ सेनसेक्स, मैग्नम इंडैक्स, प्रिंसिपल इंडैक्स, रिलायंस इंडैक्स निफ्टी, रिलायंस इंडैक्स सेनसेक्स, टाटा इंडैक्स निफ्टी ए, टाटा इंडैक्स सेनसेक्स ए, यूटीआई मास्टर इंडैक्स, यूटीआई सुंदर।
इनमें से ज्यादातर इंडैक्स आधारित मुचुअल फंड मुंबई शेयर बाजार के तीस कंपनियों वाले सेनसेक्स या नेशनल स्टाक एक्सचेंज के पचास कंपनियों वाले इंडैक्स निफ्टी पर आधारित हैं।
जैसे-जैसे भारत में निवेशकों की जानकारी बढ़ेगी, वैसे-वैसे ये फंड ज्यादा पापुलर होंगे। दीर्घकालीन निवेशकों के लिए ये फंड बेहद जोरदार प्रतिफल देने वाले साबित होते हैं। जैसे अगर तीन साल में सेनसेक्स दोगुनी हो गयी, तो निवेशकों का निवेश भी अपने आप दोगुना हो जायेगा।

उदाहरण के लिए एक ईटीएफ है-जूनियरबीस। यानी इसमें निवेश का मतलब है कि एक साथ देश की पचास कंपनियों में निवेश। बेंचमार्क मुचुअल फंड द्वारा शुरु की गयी इस योजना के तहत निवेश उन पचास कंपनियों में ही किया जाता है जो नेशनल स्टाक एक्सचेंज की जूनियर निफ्टी इंडैक्स का हिस्सा हैं। जूनियर निफ्टी इंडैक्स मूलत उन पचास कंपनियों को समाहित करती है, जो अभी देश की बडी कंपनियों में तो शामिल नहीं हैं, पर जो तेजी से विकसित हो रही हैं। इनकी विकास की रफ्तार खासी तेज है। और इसमें किया गया निवेश दीर्घकाल यानी पांच से सात साल बाद बहुत बढिया प्रतिफल दे सकता है।
निवेशक नेशनल स्टाक एक्सचेंज से जूनियरबीस का शेयर खरीद सकता है। इस निवेश के लिए निवेशक के पास डिमैट एकाउंट होना जरुरी है, क्योंकि जूनियरबीस की खरीद-फरोख्त बतौर शेयर ही होती है।
जूनियरबीस की हाल की परफारमेंस इस प्रकार है-
एक फरवरी, 2008 को नेट एसेट वैल्यू- 103.70 रुपये
छह महीनों में प्रतिफल-20.65 प्रतिशत
एक साल में प्रतिफल- 38.98 प्रतिशत
तीन सालों में प्रतिफल- 34.25 प्रतिशत सालाना
ऐसी हाहाकारी सूरत में भी इतना रिटर्न बेहतरीन माना जा सकता है।
टैक्स सेविंग और शेयरों में निवेश के फायदे दोनों ही जिन मुचुअल फंड योजनाओं में उपलब्ध हैं, बिरला इक्विटी प्लान उनमें से एक है।
बिरला इक्विटी प्लान उन फंडों में है, जिनमें एक लाख रुपये तक का निवेश कुल आय में घटाये जाने के योग्य है सेक्शन 80 सी के तहत।
पर निवेशकों को इसमें तीन सालों तक अपना निवेश लाक इन रखना होगा।
इसके हाल के आंकड़े बताते हैं कि 22 फऱवरी, 2008 को इसने पिछले एक साल में 21.72 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।
31 जनवरी, 2008 को इस फंड के पास करीब 184.49 करोड़ रुपये की रकम थी निवेशकों की।

मुचुअल फंड में निवेश के लिए ज़रूरी प्रक्रियाये:
निवेश से पहले आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके पास पेन नम्बर ( PAN CARD ) है! यह समझ लीजिये कि आज के युग में आप बिना पेन नम्बर के कोई भी (FINANCIAL)फिनैन्सिअल लेनदेन नही कर सकते ! अगर आप कोई सर्विस क्लास व्यक्ति है तो उचित होगा कि आप मुचुअल फंड में निवेश हेतु अपनी पत्नी या माँ के नाम पर इनवेस्टमेंट करे ! इसका लाभ यह है कि एक तो आप को मुचुअल फंड पर प्राप्त इन्कम पर टैक्स कम देना पड़ेगा और दूसरा लेडीज़ केलिए आयकर कि सीमा पुरुसो के मुकाबले ज्यादा है ! इसके लिए आप उनके नाम पर पेन प्राप्त करने हेतु
आप फॉर्म ४९ अ (49A ) पर आवेदन करे , ४९ अ फार्म आप आईटी पेन सर्विस सेंटर या टिन फसिलिटेशन सेंटर या इन्कोमे टेक्स कि वेबसाइट से डाउन लोड कर सकते है या फ़िर एन एस डी एल कि वेबसाइट से ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते है पेन के लिए आपको जरुरी ६० रूपये फीस भी देनी होगी ! अगर आप इश्मे किशी भी परकार कि दिक्कत समझते हो तो किशी टैक्स कंसलटेंट कि सेवाए भी ले सकते है ! एक महीने के भीतर आप को
१५ डिजिट का पेन नम्बर मिल जाएगा ! ध्यान रखे कि आवेदन के साथ निम्नलिखित दोक्युमेंट भी आपको संलग्न करने है :
1. Proof of identity: (इनमे से कोई एक) Submit a copy of any one of the following - School-leaving or matriculation certificate, recognized degree, credit card, bank account statement, passport, ration card, driving license, property tax assessment order, water bill, voter's identity card, certificate of identification signed by a Member of Parliament or Legislative Assembly, Municipal Councillor or Gazetted Officer.
2. Proof of address: (इनमे से कोई एक) A copy of any one of the following will suffice - Bank account statement, passport, voter's identity card, driving license, ration card, employer's certificate, electricity or telephone bill, property tax assessment order, rent receipt or certificate of address signed by a Member of Parliament or Legislative Assembly, Municipal Councillor or Gazetted Officer.

3. Photograph: Individual applicants need to affix a recent stamp-size color photograph.
ध्यान रहे कि अप्लिकेशन में अपना या अपने सम्बन्धी का पूरा नाम लिखे, संछिप्त नाम न लिखे ! यदि पत्नी या माँ के नाम पर पेन अप्प्लाई कर रहे है तो उनके पिता का नाम देना होगा पति का नही !
बस एक बार आपके पास पेन आ गया तो आप मुचुअल फंड में इन्वेस्ट कर सकते है या यदि सीधे शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते हो तो आपको किशी बैंक जैशे आईसीआईसीआई , HDFC , SBI, UTI etc. में DEMAT अकाउंट खोलना होगा इसका तरीका वही है जैसे आप अपना खाता खुलवाते है ! DEMAT अकाउंट खुलने पर आप ऑनलाइन ट्रेडिंग कर सकते है !
यकीन मानिये, यदि आप धेर्य और अक्लमंदी से अपना पैसा इन्वेस्ट करोगे तो आपको भी कोई एक दिन वारेन बफ्फेत बनने से नही रोक सकता !
धन्यवाद,
गोदियाल