डाली-बोट्ल्यों मधुमास छौ,
डांडी-कान्ठ्यों उल्लास छौ,
माटु-कमेडू पुतेगी छ्यु,
कूडैगी ऐथर-पैथर पाली पर,
खुदेड गीत फूलीगी छाया ,
पंया, ग्वीरीयाल की डाली पर !
क्वांसी-जिकुड़ी सास छाई,
घौर आण की आश छाई,
स्काप-पाख्ली छोडी की,
पिंगली चादरी ओढ़ी की,
गौंकि उकाल, उन्ध्यार मा,
इकटक लगीं छै धार मा,
ज्यू कुम्लायुं देखीक बुरांश,
बुकरा-बुकरी रोइ हिलांश !!