Saturday, June 29, 2013

हे धारी माता !

उपरोक्त चित्र एक काल्पनिक चित्र है, असली और नकली का समिश्रण ! 











उन्त हे देवी माँ, तेरी महिमा न्यारी माता, 
पर तेरी  पीड़ा  नी जाणि कैन धारी माता !
यूंन बोली,माताकु मंदीर हम इन बणौला, 
काटीकी पौड़,स्यूं मंदीर  हम ऐंच उठौला।  
क्य जाण्ण छौ इन उठाला यूं थान माता , 
रखी नी जाणी कैन भी तेरु  मान माता। 
विराट ज्यू च तेरु,त्व्ही सबुतै तारी माता, 
तेरी  पीड़ा  नी जाणि  कैन, हे धारी माता ! 


उत्तराखंड विपदा- हे स्वर्ग दिदा !


















उत्तराखंड त्रासदी मा जू  ज़िंदा यात्री लोग फंसी छा ,वू त  वख बिटिकी फौजी लोगुन लगभग निकाल ही यालिंन, परन्तु जू वख का स्थानीय  लोग छन  वून  कख जाण ? वूंकी  खैरी  कुछ यूं शब्दू मा ;
    

हे स्वर्ग दिदा,इ तिन क्य कैइ,तौं चौखम्बा बौंण,
बरखा-बौ  त  छक्कीक रुवेगी, हमुन  कै तै  रोण । स्वर्ग दिदा ....!
कूड़ी, डोखरी-पुङ्ग्डी बौगी, हे कुठारी बौगी दोंण,    
बरखा बौ त  छक्कीक रुवेगी, हमुन  कै तै  रोण । स्वर्ग दिदा ....!
खाँण क्या च, सेण कख, मुण्डभी कख छिपौण,
ज़रा तौळ देख, कुछ नी  रैंयुं,  टोटगी कर मोण,   
बरखा बौ त छक्कीक रुवेगी, हमुन  कै तै रोण । स्वर्ग दिदा ....!
रूड़ी का दग्ड़ा-दग्डी,इन कैरी तिन रग्डा-भग्डी,
अषाढ ल्हीगी सब्बी बगैकी, सौंण क्या बगौण,   
बरखा बौ त छक्कीक रुवेगी, हमुन  कै तै रोण ।  स्वर्ग दिदा ....!
बिज्वाड़ ज्व़ा बूती मिन,सेराकी पुङ्ग्डी बौगीन 
बीजौ  कू  निर्बीजू  ह्वाई, क्य बुतण, क्य ळौण,
बरखा बौ त छक्कीक रुवेगी, हमुन  कै तै रोण ।  स्वर्ग दिदा ....!
मैङ्गैकी च मार यख, ढंगैकी नी सरकार यख, 
दिनी भी छै जु मदद कैन, जुग्ति ह्वै  देरादोंण,     
बरखा बौ त छक्कीक रुवेगी, हमुन कै तै रोण ।  स्वर्ग दिदा ....!

Monday, June 17, 2013

बिजोक !


















उन त मी भी रजामंद छौ, अर वा भी रजामंद छै,

जथ्गा वीं मैं पसंद छौ, उथ्गी मी भी वा पसंद छै,

इन कु जाण्दु छौ कि सदानी अपणा मनै नी होंदी,

ब्यो नि ह्वाई,टैम पर पौंछ नि सक्यु, सड़क बंद छै। .

Friday, June 14, 2013

माळु- कुलैं




























गौं जांदी दां,पिछ्ला साल,
जब मी पार कर्नू  छौं 
तेरा गौं का ढिसाळैकी  
हरी-भरीं डांडी-पाख्यों तैं,
सड़की तिर्वाळ देखी छौ 
इनु स्वाणु नजारु,
जगा-जगा माळु का लग्ला,
जन बुले भेंटणा  हो 
अंग्वाळ मारीकी कुलैं की फांख्यों तैं। 

थौ खाणकू थोड़ी देर मी  रुक्यूं ,
अर याद करी छौ मिन त्वे तैं,
मी बस यी सोच्णु रयूं कि 
अगर तू भी होंदी एक लगुली माळु , 
अर  मी भी होन्दु क्वी कुलैं कू डाळु!

Wednesday, June 12, 2013

मन कू पुल्याट !


तू कागज़ होन्दी,
मी कुच्ची होन्दु,            कुच्ची=ब्रश
ज्यू-धीत भोरी
मी त्वे सजौन्दु।

ग्वीर्याळ-बांज 
 ड़ाळा छैल बैठी,
टाट मा त्वे बिछौंदु,  
चौक, छाजा
डिंडाळा बैठी, 
खाट मा त्वे बिठौंदु,
    
तेरी लंबी धौंपेली,
घुंघर्याळा बाळ,
छुंयाल्य़ा आँखी, 
स्वाणी मुखडी,
छबिलु लाणु
सजीलु गात,
नाक नथुली,
कंदुड़ू झुमका,
रंगबिरंगी चूडी हाथ।

बानी-बान्या 
साँचा बणैकी 
मन माफिक 
रंग चढ़ोन्दु,
किरमिची देह मा
कुच्ची कू प्राण होन्दु। 
तू कागज़ होन्दी,
मी कुच्ची होन्दु,          
ज्यू-धीत भोरी
मी त्वे सजौन्दु।।

Sunday, June 9, 2013

त्वैकु प्यारु दारु ह्वै !



हमारा  उत्तराखंड मा शराब आज एक बिकराळ  समस्या  बणिगेई। अब्भी हाळ ही मा शराब तस्करुन उत्तराखंड का बागेश्वर मा शराब विरोधी अभियान कू नेतृत्व करन वाली आशा कार्यकर्ता संगीता मलडा की ह्त्या करी देइ।    ये ही सम्बन्ध मा एक शराबी की माँ  दुखी मन सी अपणु खैरी  इन लगौणी च ;

न ब्वारीकु ह्वै, न म्यारू रै,
निर्भैगी त्वैकु प्यारु दारु ह्वै,
अपुण भी परलोक बिगाड़ी ,
और न तू कैकु सारु ह्वै। 

उन्त दुनियन भी खाई-प्याई,
पर इन अंगुल्तु  त्वी  व्हाई,    
क्वी दिन-बार इन नी जांदू, 
बिना घड्कैयां ही त्यारु ह्वै। 


 नौना सेंदा भूखी  रात,
चिरीं झुल्ली जनानी गात,
तू व्यान्सरी बक्षट ह्व़े जांदु,
मन्खी कनु  दुख्यारु  ह्वै।
   
खाणै फिकर  ना लाणै होश,
नौ धरौन्दु  सैरा  गौ-पड़ोस,
मुश्किल ह्वेगी मुख लुकाणु, 
कन अदक़पाळ्या मुंडारु ह्वै।      

हमुन  धैरी जीभ मा  डाम,
तिन लगाई  मवासी घाम,
ज्यू मारिकी  क्य पाई मिन,
रूप्या-टकों कु भी खारु  ह्वै।

  न ब्वारीकु ह्वै, न म्यारू रै,
निर्भैगी त्वैकु प्यारु दारु ह्वै।

Saturday, June 1, 2013

अपणी - अपणी दौरौकु, सब्बी हुश्यार छन।

स्याणु बणणै कोशिश,  कै दगड़ी मा नी कर्न,  
अपणी - अपणी दौरौकु,  सब्बी हुश्यार छन।
उन्नि मिल्दु वैतैं, करदू लुकार दगड़ा जू जन्न,
अपणी - अपणी दौरौकु,  सब्बी हुश्यार छन।
भिण्डी नी फ़ेंकण, अर भिंडी चुप भी नी रण,
बात उथ्गि बोल्ण, जथ्गा बोल्नौ गवै द्यो मन,
अपणी - अपणी दौरौकु,  सब्बी हुश्यार छन।