tag:blogger.com,1999:blog-4577503653887856926.post4427169112710215672..comments2023-09-22T03:18:46.007-07:00Comments on Pahaadi stuff !: मी कैमा लगौ खैरी अपणी,पी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4577503653887856926.post-80158410159205176282013-03-24T05:32:10.427-07:002013-03-24T05:32:10.427-07:00हां आपने सही कहा। पर जब आपने गढ़वाली ब्लॉग लिखने क...हां आपने सही कहा। पर जब आपने गढ़वाली ब्लॉग लिखने का बीड़ा उठाया है तो आप निश्चित शब्दावली निर्मित कर उसका बारम्बार प्रयोग पुष्ट कर सकते हैं। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4577503653887856926.post-63898081995604542562013-03-24T03:23:52.380-07:002013-03-24T03:23:52.380-07:00आभार बडोला जी, आपका कहना एकदम सही है किन्तु मैं ...आभार बडोला जी, आपका कहना एकदम सही है किन्तु मैं समझता हूँ कि यह हमारे गढ़वाली भाषा कोष की सबसे बड़ी कमजोरी है कि इसकी एक निश्चित शब्दावली अभे तक तय नहीं हो पाई है। उदाहर्नाथ्र मिन और मिल दोनों ही शब्द हिंदी के शब्द मुझे का प्रतिनिधित्व करते है। किन्तु खेत्र के हिसाब से दोनों ही शब्दों को प्रयोग किया जाता है। हाँ आपकी इस बात से सहमत हूँ की बस्गाल की जगह बसिग्याल अथवा बस्ग्याल शब्द ज्यादा सही है। पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4577503653887856926.post-34929742111619300502013-03-23T04:52:46.979-07:002013-03-23T04:52:46.979-07:00बहुत सुन्दर भाव कविता के। लेकिन
ह्यूंद-बस्ग्या...बहुत सुन्दर भाव कविता के। लेकिन<br /><br />ह्यूंद-बस्ग्याल मिल यखुलि.......क्या कुछ इस तरह नहीं लिखा जाना चाहिए उच्चारण की शुद्धता के लिए?<br />Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.com