एक प्यारा सा गीत है उपकार फ़िल्म का, हर खुशी हो वहां.... उसी तर्ज पर यह गढ्वाली गीत प्रस्तुत है;
हो सारु सुख वीं जगा, जौं जगौं मा तू रौ,
क्वी भी खैरी न हो, जौ जगौ मा तु रौ ! हो सारु सुख......!
छ जोन धुंधली .......हो-होहो...
छ जोन धुंधली भले, धार-डांडा फुण्डै
तेरा बाटौं कभी क्वी अंध्यारु न रौ,
हो जुन्याली सदानी व रात तख,
जौं रात्यों ड्रील कु तु ढंगारु मा जौ,
क्वी भी खैरी न हो, जौ जगौ मा तु रौ ! हो सारु सुख......!
मी अन्ध्यारु....... हो-होहो...
मी अन्ध्यारु ही भान्दु एलै ई यख,
ये मा छैल भी अपणु नज..रनी आन्दु,
रौ उज्यालु सदानी ही वीं-वीं जगा,
काम कू जौं जगौं- जौं जगौं मा तु जौ,
क्वी भी खैरी न हो, जौ जगौ मा तु रौ ! हो सारु सुख......!
ह्युंद, बस्ग्याल... हो-होहो...
ह्युंद, बस्ग्याल ही मेरी दग्ड्याणी छन
गीली मुख्डी मा पालु नजर नी आंदु,
रौ उबाणी सदानी सिर्वाण तेरी,
सेण कू रात जब तु बिछोंणा मा जौ,
क्वी भी खैरी न हो, जौ जगौ मा तु रौ ! हो सारु सुख......!
बहुत ही सुंदर जी आप की तरह से, धन्यवाद
ReplyDelete