सोचि-सोचिकीतैं सूखिगेछा जब वीँका प्राण,
निम्दैरी मा बैठीकि, बोड़ी लगीं छै बरणाण।
कन निर्बिजु ह्वे बोला दूं ये निर्भागी सरगौकू,
न बौण जाणकू रै, न डोखरी-पुंग्डियो धाण।
चूचौं,कन अचांणचक या ळोळी प्रलय आई,
छोड-पुंगडि गैन बौगी,अब हमुन क्य खाण।
मुन्ड़ेली मा बैठी बोड़ा हुक्का छौ गुगणाणू,
कूड़ा ढीस्वाळ एक हैलिकॉप्टर लगी उड़ाण।
बोडन बोडी तै आँख मारी,हैलिकॉप्टर दिखै,
अर मुसकरैक बोली; हो रहा भारण निर्माण।।
हैलिकॉप्टर में उड़िकिता हि भारत निर्माण हूंणूंच ये देशाकु।
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