उपरोक्त चित्र एक काल्पनिक चित्र है, असली और नकली का समिश्रण ! |
उन्त हे देवी माँ, तेरी महिमा न्यारी माता,
पर तेरी पीड़ा नी जाणि कैन धारी माता !
यूंन बोली,माताकु मंदीर हम इन बणौला,
काटीकी पौड़,स्यूं मंदीर हम ऐंच उठौला।
क्य जाण्ण छौ इन उठाला यूं थान माता ,
रखी नी जाणी कैन भी तेरु मान माता।
विराट ज्यू च तेरु,त्व्ही सबुतै तारी माता,
तेरी पीड़ा नी जाणि कैन, हे धारी माता !
आधुनिकका घ्वाड़ा मा सवार हुंया पिड़भैंणिकामैंश यूं थै क्या पता। पर हमरु स्याल ता बहुगुणा गढ़वलीचा। वैथे क्या ह्वाई। हर कामाखुणै जो केन्द्र जनै द्यखद।
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