बौण-सारी रयूं,
तेरा ऐथर-पैथर
धौण धारी रयूं।
पर मेरी क्वी भी बात
नि धरै तिन,
रामी बौराण, माधों-रुक्मा,
राजुला मालूशाही,हीर-राँझा,
त्वे मा
क्य-क्य नी देखी छौ मिन !
छजा-डिंडाळा बिटीक अंगेठी,
धुर्पैळा मकौ पक्यु अमेड्थ,
पंदेरा मुकै बंठा-गागर अर
बौंण-बीटों का ढुंगा-डळा,
याद कर,
क्य-क्य नी फरकैन
तिन अपणा ये प्रेमी उन्दै ?
मेरू सैरु सुख-चैन छीनी,
अर आखिर मा
जब कुछ नी बची त
तिन आँखा भी फरकै दीनी।
खैर, जथ्गा चांदू छौं मी
त्वे सणि ब्याळी,
आज भी वै उथ्गै च,
अर उथ्गी रालु सदानि भोळ,
मेरी रुआ-रोळ भाना,
तेरी रॉक ऐंड रोळ !!
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