गंगा जी का आर देख, न पार देख,
अग्नै बौग्दा पाणि की छलार देख।
जै ढुंगा मा हुंयू छै खुटा टेकी खड़ू,वै पर लग्यां सिंवालै की मार देख।
ह्यूंदा दिनु , ब्याखनी कू सीलू घाम,
उन्त भुला,कैगा भी नि औंदु काम,
पर स्वाणु लग्दु चसा गदनौ बैठि,
रुम्क़ पड़दी जु पार डांडा-धार देख।
कै वक्त पर नी मिल्दु मुंड सिराणु,
मुल्क भी अपणु ह्वे जान्दु बिराणु,
तू अपणा घौर गौं-गुठिठयार देख,
कोदु-झंगोरु अर नाजै कुठार देख।
गंगा जी का आर देख, न पार देख,
अग्नै बौग्दा पाणि की छलार देख।।
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