कै मा लगौण खैरी अपणी, कैगी सांखी परै रोण,
ई छोड़-कूडी का खातिर,अछाणा मा धरीं च मोण।
डांडा-गदन्यों का सैरा सूखा पड्यां छुंया-दुङ्ग्ला,
पाणि नी च कै भि धारा, मुक्क भी कखन धोंण।
मैना का शुरुमा लोग रैंदा,मंयोडर कु बाटु हेरना,
कुठारी नीच नाज-दाणी,क्यजु खांण अर कमोंण।
नौनौ अर ऊँ तै चैंदु, भरीं रोटी मा घी कु गोंदगु,
गुठ्यारा बंधी भैंसी-गौडी,घास नीच कखी बौण।
अपणि सूखी रोटी जाणू, अर कोस्डी परौ लोण,
कै मा लगौण खैरी अपणी, कैगी सांखी परै रोण।
sach maa kai maa lagud apni khair..
ReplyDeletekwai ni chi yakh ..