विश्व गौरैय्या दिवस पर आज कविता की चार लाइन घेटुडी का नौ;
हे घेटुडी, मन्ख्योंन भलु तेरु इन करी,
ये जग मा तेरा नौ कु एक दिन करी।
हर्ची गे तू छाजा-डिंडाळी, चौक संग्ती बाट,
अब नी सुणेन्दु सुबेर लीक तेरु च्युंच्याट।
अब नी औंदी चौक-मुन्ड़ेली खाणौ खीर,
अब नी दिखेंदा घोळ तेरा कूडा-सैतीर।
निफ्ठाण करी हमुन तेरु बणीक तै बाज,
चुची घेटुडी, जग मा तेरु दिन च आज।
घिन्डुड़ी घार-गांवैकि जिन्दगीकि अमूल्य संपदा च। बहुत बढ़या कविता।
ReplyDeleteआभार बडोला जी !
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