अब रूम्क पड्न लगीं,
गग्डादू सर्ग, गग्डादू सर्ग= गरजता आसमान (thunder sky)
अर भैर बथों-बत्वाणी,
न जा सुवा इना मा,
रात यखि रुकजा आज ,
अडेथ्लु त्वे भोळ रत्वाणी। अडेथ्लु=छोड़ के आना (to drop)
लौ-लत्ती,सैन्त्यु-सम्हाल्यु
घौर मेरा तंत
सब्बी धाणी च,
पर मैं भी खै लेलु दूँ
चुची आज तेरी तों
गोंदगि सी हाथ्योंग़ी बणई ,
रोटी-गथ्वाणी।।
रत्वाणी / रतब्याणी = भोर पर (Early morning)
सार: प्रेमी अपनी प्रेमिका से कह रहा है कि सांझ ढलने लगी है, आसमान गरज रहा है, आंधी-तूफ़ान भी है ऐसे में आज यहीं रुक जा , तडके तुझे तेरे घर छोड़ दूंगा, आज तेरे इन कोमल हाथों की बनी रोटी और गथ का साग मैं भी खा लूंगा।
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