पलॆखी जाली सी आंखि जब दिन जग्वाळी की,
अँधेरी कोंण्यों रव़ेई ना भाना लम्पु बाळी की।
छुट्टी शैद मी भी आलु ऐंस्वी बग्वाळी की,
अँधेरी कोंण्यों रव़ेई ना भाना लम्पु बाळी की।
खुट्यों मा पराज लग्ला,खुटी मा तु खुटी धारी,
गौळा लगली बाडुळी जब,पाणी का घूट मारी।
ब्याखिनीदां भभ्रालि आग चुल्ला मुछ्याळी की,
अँधेरी कोंण्यों रव़ेई ना छोरी लम्पु बाळी की।
खिलला ग्वीर्याळ-बुरांश तौ डांडी-कांठियों मा,
छुक-छुक कै दौड्ली हिलांश बौण-बाट्यों मा।
घुघूती बासली मुंडल्यों बैठी छाजा-धुर्पाळी की,
अँधेरी कोंण्यों रव़ेई ना भाना लम्पु बाळी की।
लेकि तै झंगोरू-साट्टी परात अर भदाळी मा,
कट्ठा ह्वेकि तै बेटी-ब्वारी गौंकी उर्ख्याळी मा।
जब सुप्पाले का गीत ग़ाली गांज-गंज्याळी की,
अँधेरी कोंण्यों रव़ेई ना भाना लम्पु बाळी की।
चौंऴ, झंगोरू राळीक खैली भुजि कंडाळी मा,
भट-बुखणा टुप कै बुखाली तिबारी-डिंडाळी मा।
गौ बीटी आली साज ढोल-दमौ,डौंर-थाळी की,
अँधेरी कोंण्यों रव़ेई ना प्यारी लम्पु बाळी की।
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