सेन्दु - जाग्दु
वक्त -बेवक्त
आंख्यों मा
रिंग्दी रांद,
रात जन्नी
बिछोंणा पौड्यू
सुपिना आंदि
उलार्या बांद।
भरीं ज्वानि,
इखुलू मन
सब्बी अपणा
सी दूरु-दुरू ,
दंदोल उठ्दी,
प्राण ड़ब्कुदु ,
जिकुड़ी झुरान्दी
अर बाडुली शुरू।
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द्वी दग्ड्याणी
छ्वीं लगाणी
खड़ी ह्वैकी
वळ्ळि मोरी,
पल्ली मोरी,
छ्वीं लगाणी
खड़ी ह्वैकी
वळ्ळि मोरी,
पल्ली मोरी,
दुत्ति, पातर
क्वा च बल वा ?
अरे वी,
वा लबरा छोरी।
अरे वी,
वा लबरा छोरी।
सूणिकीतै लुळयाट
तौन पूछी,
किलै रव़े वा
तौन पूछी,
किलै रव़े वा
बुकरा-बुकरी ?
मीन बोळी,
मेरु लाड़,
मेरु पुळयाट।
मीन बोळी,
मेरु लाड़,
मेरु पुळयाट।
xxxxxxx
इन भरमौन्दि
ह्युंदा दिनू ,
घुंघुरू घाम
लग जाँदा,
सासु का
जब ठण्ड मा,
इन भरमौन्दि
ब्वारी बौगी ह्वेक़
जन मुण्डौ नौ
बल कपाल,
कख च ?
बर्मंड मा।
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