उत्तराखंड त्रासदी मा जू ज़िंदा यात्री लोग फंसी छा ,वू त वख बिटिकी फौजी लोगुन लगभग निकाल ही यालिंन, परन्तु जू वख का स्थानीय लोग छन वून कख जाण ? वूंकी खैरी कुछ यूं शब्दू मा ;
हे स्वर्ग दिदा,इ तिन क्य कैइ,तौं चौखम्बा बौंण,
बरखा-बौ त छक्कीक रुवेगी, हमुन कै तै रोण । स्वर्ग दिदा ....!
कूड़ी, डोखरी-पुङ्ग्डी बौगी, हे कुठारी बौगी दोंण,
बरखा बौ त छक्कीक रुवेगी, हमुन कै तै रोण । स्वर्ग दिदा ....!
खाँण क्या च, सेण कख, मुण्डभी कख छिपौण,
ज़रा तौळ देख, कुछ नी रैंयुं, टोटगी कर मोण,
ज़रा तौळ देख, कुछ नी रैंयुं, टोटगी कर मोण,
बरखा बौ त छक्कीक रुवेगी, हमुन कै तै रोण । स्वर्ग दिदा ....!
रूड़ी का दग्ड़ा-दग्डी,इन कैरी तिन रग्डा-भग्डी,
अषाढ ल्हीगी सब्बी बगैकी, सौंण क्या बगौण,
बरखा बौ त छक्कीक रुवेगी, हमुन कै तै रोण । स्वर्ग दिदा ....!
बिज्वाड़ ज्व़ा बूती मिन,सेराकी पुङ्ग्डी बौगीन बीजौ कू निर्बीजू ह्वाई, क्य बुतण, क्य ळौण,
बरखा बौ त छक्कीक रुवेगी, हमुन कै तै रोण । स्वर्ग दिदा ....!
मैङ्गैकी च मार यख, ढंगैकी नी सरकार यख,
दिनी भी छै जु मदद कैन, जुग्ति ह्वै देरादोंण,
बरखा बौ त छक्कीक रुवेगी, हमुन कै तै रोण । स्वर्ग दिदा ....!
युत छंईच बड़ु प्रश्न कि वखाका लोगुल अब कनखै रैण।
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