स्याणु बणणै कोशिश, कै दगड़ी मा नी कर्न,
अपणी - अपणी दौरौकु, सब्बी हुश्यार छन।
उन्नि मिल्दु वैतैं, करदू लुकार दगड़ा जू जन्न,
अपणी - अपणी दौरौकु, सब्बी हुश्यार छन।
भिण्डी नी फ़ेंकण, अर भिंडी चुप भी नी रण,
बात उथ्गि बोल्ण, जथ्गा बोल्नौ गवै द्यो मन,
अपणी - अपणी दौरौकु, सब्बी हुश्यार छन।
अपणी - अपणी दौरौकु, सब्बी हुश्यार छन।
उन्नि मिल्दु वैतैं, करदू लुकार दगड़ा जू जन्न,
अपणी - अपणी दौरौकु, सब्बी हुश्यार छन।
भिण्डी नी फ़ेंकण, अर भिंडी चुप भी नी रण,
बात उथ्गि बोल्ण, जथ्गा बोल्नौ गवै द्यो मन,
अपणी - अपणी दौरौकु, सब्बी हुश्यार छन।
हुश्यार ता अपणै-अपणै दौराका सभ्भी छीं ही, तबिता या हाल हुंयाछीं जिन्दगी का। बहुत बढ़िया ब्वाल आपाला।
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