Sunday, November 1, 2009

मिन नी घड्काई आज !

तन किलै रडकाई तिन सी, पीठी मकौ भारू,
मिन नी घड्काई आज, गोरख्याणी कू दारू,
मेरु क्वी नी दोष गैला दोष दग्ड्यों कु सारू,
भलु मन्खी बणिग्यों चुची, अब मी बिचारू,
तेरी कसम, तु जै का मर्जी सौं खिलै ली,
मिन आफु नि पिनी दग्ड्योंन पिलै ली,
कुछ भी नी रैयूं अब मेरा कीसा परै,
तु जथगा मर्जी तै बटुआ हिलै ली,
अब कुछ नि रैगी पैण कु चारू,
तन किलै रड्काई तिन,
स्यू पीठी मकौ
भारू,
चुची,
भलु
मन्खी बणी
ग्यों अब मी बिचारू !
मिन नी घड्काई आज
चुची,गोरख्याणी कू दारू!!

2 comments:

  1. sundar kriti bhaiji !!

    mi tain nasha hue gi jhamm !

    ReplyDelete
  2. mi tain nasha hue gi jhamm !
    ताऊ पुरी कहाणी समझावा तो कोई बात बणै-हम तो आधी मै ही झम हो ग्या-मेल करो shilpkarr@gmail.com

    ReplyDelete