Monday, March 28, 2011

घट्ट !




दाना-स्याणा बोल्दा छाया,

जबाब देंण सोची समझी ,

नि देणु झट-पट,

जू तडम तीड़ू,

तव्वा मा रखदी दां ,

नि बणीकर तु उ भट्ट,

कन नाच्दी नीस भेरण

पंडाळ का पाणी सी,

अर ऐंच रेडू

जरा-ज़रा नाज डाल्दु ,

पाट भी शांत ह्वैग तै 

घुम्णु रांदु....  घर्र-घर्र,

बण सकदी त 

तू  बण उ घट्ट !

Monday, March 21, 2011

नई बौजी !












चांदण साजी चौक-गुठ्यारा,
लड़ी निम्दारी मा चम्-चम,
नई बौजी आई घौर हमरा,
ढोल बाज्या ढम-ढम !

चूड़ियों कू छणमणाट गूंजी,
रुस्याडा, बगली, बौंड-ओबरा,
पैजेबी का घुँघुरु बाज्या,
खोली-डिंडाली छम-छम !
नई बौजी आई घौर हमरा,
ढोल बाज्या ढम-ढम.... !!


घूं-घूं जान्द्री घूमी,
परेडू नाची घर्र-घर्र,
उर्ख्याला गंज्याली बाजी,
ब्यान्स्री मा घम-घम !
नई बौजी आई घौर हमरा,
ढोल बाज्या ढम-ढम.... !!

पंदेरा खिख्लाट मची,
पुंगड़ियों मा खिख्ताट,
ख़त्म ह्वाई बग्वाल तब ,
जब भैजी पैटी ठम-ठम !
नई बौजी आई घौर हमरा,
ढोल बाज्या ढम-ढम.... !!

ह्युंद माँ चौमास छाई,
बरखा आई झम-झम,
बौजी खुदेण बैठी, अर
आंखी ह्वाई नम-नम !
नई बौजी आई घौर हमरा,
ढोल बाज्या ढम-ढम.... !!

छवि गुगुल से साभार !