Monday, December 21, 2009

ठेस !

आज के अखबारों में यह खबर पढ़कर दिल को ठेस पहुँची ! एक वक्त था, जब मैदानी क्षेत्रो में पहाड़ के लोगो, खासकर गढ़वाली और कुमावनी को नौकरी पर रखने ( चाहे वह घरेलू नौकर की नौकरी हो अथवा दफ्तर के कर्मचारी की) का एक ख़ास मकसद यह होता था कि ये लोग ईमानदार होते है ! लेकिन आज यह भी खबर पढनी थी ! इसका दूसरा पहलू इस तरह भी देखा जा सकता है कि देश की आर्थिक और बेरोजगारी की स्थिति कितनी भयावह हो चुकी है ! लेकिन सत्ता में बैठे लोग मौज कर रहे है, बेफिक्र होकर !




खबर हिंदुस्तान के सौजन्य से !

6 comments:

  1. sachh dukh hota hai :(
    sachh kah rahe hai berojgari to rajya ban ne ke baad bhi dur nahin hui pata nahin kahan ke yuvaon ko rojgaar diye hai 'uttarakhand ki sarkaar ne?kahane ko 70 % ka arakshan yahan ki factariyon me hai lekin kis star par palan hai yah ....kahana mushkil hi hiai

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  2. दुख तो बहुत होता है, लेकिन आज हालात ऎसे हो गये है कि यह सब चल रहा है अजी इस Word verification को हटा दो तो आप की मेहरबानी होगी, क्योकि इस का लाभ कुछ नही, हानि ही हानि है

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  3. अच्छे बुरे लोग सभी जगह होते हैं. बैंक की नौकरी में मुझे सिर्फ एक बार एक सहकर्मी ने पैसे का धोखा करके विश्वासघात किया था और वह गढ़वाली था मगर इससे मेरे मन में पहाड़ या गढ़वाल के प्रति कोई दुर्भावना नहीं आई.

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  4. भाई गोदियाल जी!
    लगता है कि आपसे अंधड़ का टेम्प्लेट सही नही हो रहा है!
    कृपया मेरे नम्बर पर फोन कर लें!
    क्या में आपकी कोई सहायता कर सकता हूँ!

    09368499921
    09997996437

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  5. शास्त्री जी सर्वप्रथम आपका तहे दिल से शुक्रिया , बस यही कहूंगा कि खुद ही जानबूझकर बिगाड़ा है :)

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  6. बाद में कभी मूड हुआ तो सुधार दूंगा !

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