Friday, June 14, 2013

माळु- कुलैं




























गौं जांदी दां,पिछ्ला साल,
जब मी पार कर्नू  छौं 
तेरा गौं का ढिसाळैकी  
हरी-भरीं डांडी-पाख्यों तैं,
सड़की तिर्वाळ देखी छौ 
इनु स्वाणु नजारु,
जगा-जगा माळु का लग्ला,
जन बुले भेंटणा  हो 
अंग्वाळ मारीकी कुलैं की फांख्यों तैं। 

थौ खाणकू थोड़ी देर मी  रुक्यूं ,
अर याद करी छौ मिन त्वे तैं,
मी बस यी सोच्णु रयूं कि 
अगर तू भी होंदी एक लगुली माळु , 
अर  मी भी होन्दु क्वी कुलैं कू डाळु!

1 comment:

  1. अफुथै कुलैं कु डालु और मालु थै लगुली बणाकि लिखीं प्रेमिल प्रस्‍तुति।

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