Sunday, June 9, 2013

त्वैकु प्यारु दारु ह्वै !



हमारा  उत्तराखंड मा शराब आज एक बिकराळ  समस्या  बणिगेई। अब्भी हाळ ही मा शराब तस्करुन उत्तराखंड का बागेश्वर मा शराब विरोधी अभियान कू नेतृत्व करन वाली आशा कार्यकर्ता संगीता मलडा की ह्त्या करी देइ।    ये ही सम्बन्ध मा एक शराबी की माँ  दुखी मन सी अपणु खैरी  इन लगौणी च ;

न ब्वारीकु ह्वै, न म्यारू रै,
निर्भैगी त्वैकु प्यारु दारु ह्वै,
अपुण भी परलोक बिगाड़ी ,
और न तू कैकु सारु ह्वै। 

उन्त दुनियन भी खाई-प्याई,
पर इन अंगुल्तु  त्वी  व्हाई,    
क्वी दिन-बार इन नी जांदू, 
बिना घड्कैयां ही त्यारु ह्वै। 


 नौना सेंदा भूखी  रात,
चिरीं झुल्ली जनानी गात,
तू व्यान्सरी बक्षट ह्व़े जांदु,
मन्खी कनु  दुख्यारु  ह्वै।
   
खाणै फिकर  ना लाणै होश,
नौ धरौन्दु  सैरा  गौ-पड़ोस,
मुश्किल ह्वेगी मुख लुकाणु, 
कन अदक़पाळ्या मुंडारु ह्वै।      

हमुन  धैरी जीभ मा  डाम,
तिन लगाई  मवासी घाम,
ज्यू मारिकी  क्य पाई मिन,
रूप्या-टकों कु भी खारु  ह्वै।

  न ब्वारीकु ह्वै, न म्यारू रै,
निर्भैगी त्वैकु प्यारु दारु ह्वै।

1 comment:

  1. सबसे पैलि ता आशा कार्यकर्ता संगीता मलडा क दगड़ इतगा बड़ी दुर्घटना ह्वैग्‍या और मी जनों थै पतै नीच। धिक्‍कार चा मी जन लोगुं फर जो केवल तमाशा द्यखणा खुणै पैदा हुयांछी। आपल बहुत ही संवेदनामयी गीत ल्‍याख शराबी की मां की पीड़ा समझि की।

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