Wednesday, April 8, 2009

हे ! तुमुन कबारी क्यैगा आरसा चुरैन ?

जब मैं छौ अपरी उम्र कु भौत नादान
तब रंदु छौ बण्यु गौ कु गबरू पदान
लुकारी खोल्यो मा चडीक, खादरा परै
चोरी-चोरिक खाएं मिन आरसा सदान

कभी येगा, त् कभी वैगा खादरा बीटी
टक रंदी छाई लोगु का ही खादरौ पर
आरसु छौ मेरु एक प्यारु मिठू भोजन
टपैकी ली जन्दुछौ,जब देखि क्वी नी घर

तुम होला सोचणा कि फसक च मारनु
येन भला आरसा कख बीटी खैन ?
लुकारी खोल्यो मा चडी त् गैलु पर
खादरा पर आरसा कख बीटी ऐन ?

गौ मा जब क्वी ब्यो होंदा छा या
ब्वारी आंदी छाई क्वी मैत बिटीक
घौर-घौर मा सबुका पैणु बटेन्दू छौ
जू ब्वारी लांदी छै मैत बिटी लीक

हे!तुमुन कबारी क्यैगा आरसा चुरैन ?
मिन त् यार,बचपन मा भौत खैन
याद आंदी बिजां,याद त् याद ही राण
अब हमुन अरसा त् कख बिटी खाण ?

-godiyal

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