Wednesday, March 20, 2013

घेटुडी !




विश्व गौरैय्या दिवस पर आज कविता की चार लाइन घेटुडी का नौ;  

हे घेटुडी, मन्ख्योंन भलु तेरु इन करी, 
ये जग मा तेरा नौ कु एक दिन करी।

हर्ची गे तू छाजा-डिंडाळी, चौक संग्ती बाट, 
अब नी सुणेन्दु सुबेर लीक तेरु च्युंच्याट। 

अब नी औंदी चौक-मुन्ड़ेली खाणौ खीर, 
अब नी दिखेंदा घोळ तेरा कूडा-सैतीर। 

निफ्ठाण करी हमुन तेरु बणीक तै बाज,   
चुची घेटुडी, जग मा तेरु दिन च आज।  

2 comments:

  1. घिन्‍डुड़ी घार-गांवैकि जिन्‍दगीकि अमूल्‍य संपदा च। बहुत बढ़या कविता।

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