Saturday, June 29, 2013

हे धारी माता !

उपरोक्त चित्र एक काल्पनिक चित्र है, असली और नकली का समिश्रण ! 











उन्त हे देवी माँ, तेरी महिमा न्यारी माता, 
पर तेरी  पीड़ा  नी जाणि कैन धारी माता !
यूंन बोली,माताकु मंदीर हम इन बणौला, 
काटीकी पौड़,स्यूं मंदीर  हम ऐंच उठौला।  
क्य जाण्ण छौ इन उठाला यूं थान माता , 
रखी नी जाणी कैन भी तेरु  मान माता। 
विराट ज्यू च तेरु,त्व्ही सबुतै तारी माता, 
तेरी  पीड़ा  नी जाणि  कैन, हे धारी माता ! 


1 comment:

  1. आधुनिकका घ्‍वाड़ा मा सवार हुंया पिड़भैंणिकामैंश यूं थै क्‍या पता। पर हमरु स्‍याल ता बहुगुणा गढ़वलीचा। वैथे क्‍या ह्वाई। हर कामाखुणै जो केन्‍द्र जनै द्यखद।

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