Monday, February 14, 2011

नौ मा क्यच धार्यु !

गौंकू नौ तरपाणी,
अर गौं निरपाणी,
बौंण-पुंगड़ियों की धाणी,
अर ख़ाली परौ मेट्यु पाणी,
वीं ख़ाली पर, जै पर छोटा मा
एक छोड़ पर हमन पाणी चौंण,
अर हाका छोड़ पर कुलु करन,
हा-हा॥ क्वी और उपै भी त नि छौ !!


भावार्थ: पहाडी गाँवों की पानी की विकराल समस्या ! लोग बरसात का पानी पहाडी ढलानों पर छोटे-छोटे गद्दे नुमा तालाब जिन्हें स्थानीय भाषा में ख़ाली कहते है, में इकठ्ठा करते है ! और इन्ही तालाबों पर मनुष्य और मवेशी अपना गुजारा करते है ! बचपन की यद् आती है जब तालाब के एक कोने पर हम शौच करते थे और दूसरे छोर पर उसी तालाब के पानी को मुह में डाल कुला करते थे ! क्या करे, कोई और उपाय भी तो न था !

No comments:

Post a Comment