Sunday, February 20, 2011

सोना कु भाव बल सुनार ही जाणदू !


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खैरी-परेशानी कख नीछ,
पर इनु क्वी अंगलतू ही होंदु,
जु वी खैरी दगडी लड़णे की ठाणदू ,
पूराणोंन भी इलैही त बोली,
कि सोना कु भाव बल सुनार ही जाणदू !


खाण-रैण कु मिलू अगर
भलु-भलु ही सब्बी धाणी,
कु नि चांलु इन अपणा वास्ता,
हर क्वी त यख भलु ही छाणदू,
पूराणोंन भी इलैही त बोली,
कि सोना कु भाव बल सुनार ही जाणदू !

बोलण कै तै नी आन्दु
पर क्वी-क्वी जाणदू गिचु बुजण ,
हर क्वी चांदु सैणा बाटा हिटणु ,
पर क्वी-क्वी जाणदू ढुंगु पुजणु,
वी समझदार छ जु
सब्बी धाणी एका लाठन नी हाणदू.
पूराणोंन भी इलैही त बोली,
कि सोना कु भाव बल सुनार ही जाणदू !

हामुन-तुमुन ठुकरै यालीन भले,
वू गारा-ढुंगा, जौमा
कभी नांगा खुटौन नाच्यां,
पर देखणे की बात याछ कि

क्वी भैरवालू कथ्गा वूँ तै माणदू,
पूराणोंन भी इलैही त बोली,
कि सोना कु भाव बल सुनार ही जाणदू !



1 comment:

  1. यह कोई त्याग नही जी, बल्कि आराम की जिन्दगी हे, बहुत से गोरे भारत मे युही आते हे ओर यही बसना चाहते हे, क्योकि य्रुरोप के मुकबाले भारत मे जीना सस्ता पडता हे, लेकिन अच्छा लगा, धन्यवाद

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