Saturday, January 26, 2013

बिमाल !


अब रूम्क पड्न लगीं,
गग्डादू सर्ग,              गग्डादू सर्ग= गरजता आसमान (thunder sky)
अर भैर बथों-बत्वाणी,
न जा सुवा इना मा, 
रात यखि रुकजा आज , 
अडेथ्लु त्वे भोळ रत्वाणी।   अडेथ्लु=छोड़ के आना (to drop)
लौ-लत्ती,सैन्त्यु-सम्हाल्यु 
घौर मेरा तंत 
सब्बी धाणी च,
पर मैं भी खै लेलु दूँ 
चुची आज तेरी तों 
गोंदगि सी हाथ्योंग़ी बणई , 
रोटी-गथ्वाणी।।    

रत्वाणी / रतब्याणी = भोर पर (Early morning)
सार: प्रेमी अपनी प्रेमिका से कह रहा है कि  सांझ ढलने लगी है, आसमान गरज रहा  है, आंधी-तूफ़ान भी है  ऐसे में आज यहीं रुक जा , तडके तुझे तेरे घर छोड़ दूंगा, आज तेरे इन कोमल हाथों की बनी रोटी और गथ का साग मैं भी खा लूंगा।  

No comments:

Post a Comment