Tuesday, January 22, 2013

गढ़वाली गीत -छुट्टी ऐगी,फौजी भैजी ठम !













पल्टन बिटीक छुट्टी ऐगी फौजी भैजी ठम,
अब नि रैगी हमतै भुलों, द्वी मैना क्वी गम। 
क्वी प्यावा बरांडी-विस्की, क्वी प्यावा रम,
अब नि रैगी हमतै भुलों, द्वी मैना क्वी गम।.......;2

हे भुली, हे बौजी तुम,तन न सुजा मुखड़ा तै,    
करकरा अंगारू मा ए,झट भड्या तै कुख्डा तै।    
भिंडी सब्र, इन्तजार अब नि कै सकदा हम, 
अब नि रैगी हमतै भुलों, द्वी मैना क्वी गम। ;.......;2    


हे छोरों तुम तौं पकोड़ों तौळन द्यावा मी मा,
गौत्थ्वी भरी रोटी फौजी भै खिलावा घी मा।      
कैतैं बड़ा-बड़ा बणावा पैग, कैमू ड़ाळा कम,
अब नि रैगी हमतै भुलों, द्वी मैना क्वी गम।;.......;2  

एक बोतल खाली ह्वैगित,हैक्कि खोला धम,  
और डाळा ये गिलास मा,तननि  डाळा कम।   
झम-झमाट इन पड़जौ जू  पोट्गी परैं झम, 
अब नि रैगी हमतै भुलों, द्वी मैना क्वी गम ;.....;2  

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