Monday, February 18, 2013

ब्याळी अर भोळ !



बौण-सारी रयूं, 
तेरा ऐथर-पैथर 
धौण धारी रयूं।   
 पर मेरी क्वी भी बात 
नि धरै तिन, 
रामी बौराण,  माधों-रुक्मा,
राजुला मालूशाही,हीर-राँझा, 
त्वे मा 
क्य-क्य नी देखी छौ मिन !   
छजा-डिंडाळा बिटीक अंगेठी,
धुर्पैळा मकौ पक्यु अमेड्थ,
पंदेरा मुकै बंठा-गागर अर
बौंण-बीटों का ढुंगा-डळा,            
याद कर, 
क्य-क्य नी फरकैन  
तिन अपणा ये प्रेमी उन्दै ?
मेरू सैरु सुख-चैन छीनी, 
अर आखिर मा 
जब कुछ नी बची त 
तिन आँखा भी फरकै दीनी।     
खैर, जथ्गा चांदू छौं मी 
त्वे सणि ब्याळी,
आज भी वै उथ्गै च,
अर उथ्गी रालु सदानि भोळ,
मेरी रुआ-रोळ भाना, 
तेरी रॉक ऐंड रोळ !!

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