Saturday, February 2, 2013

बड़ा बोल !


गंगा जी का आर देख, न पार देख, 
अग्नै बौग्दा पाणि की छलार देख। 
जै ढुंगा मा  हुंयू छै  खुटा टेकी खड़ू,
वै पर लग्यां  सिंवालै की मार देख।  
ह्यूंदा दिनु , ब्याखनी कू सीलू घाम,
उन्त भुला,कैगा भी नि औंदु काम,
पर स्वाणु लग्दु  चसा गदनौ बैठि,
रुम्क़ पड़दी जु पार डांडा-धार देख।
कै वक्त पर नी मिल्दु मुंड सिराणु,   
मुल्क भी अपणु ह्वे जान्दु बिराणु, 
तू अपणा घौर गौं-गुठिठयार देख, 
कोदु-झंगोरु अर नाजै कुठार देख।

गंगा जी का आर देख, न पार देख, 
अग्नै बौग्दा पाणि की छलार देख।। 

No comments:

Post a Comment