Wednesday, February 27, 2013

वू उत्तराखण्ड कु ह्वेनि सकदु,


नी बोली अपणी बाणी जैन,

अपणु गौं नी जाणि जैन,

वू उत्तराखण्ड कु ह्वेनि सकदु,

अपणा मनखि नी पछ्याणि जैन।



चौमास नी देखि अपणा ज्यूंद,

गग्डान्दु सर्ग बसिग्याळ-ह्यूंद,  

रौला-पाखों  ह्युं नी 
बर्खुदु देखि,

पे नी छोंयोंकु बौग्दु पाणि जैन। 




डोखरी-पुङ्ग्डियों मा नारी बांद, 

बौण घास-लाख्डु भारी लांद,

पंदेरा बंठा-गागर मुंडमा लेकि, 

क्वी नी देखि मुखड़ी स्वांणि जैन।



भट-बुख्णौ मा नी काटी रात,

राळी नी खाई काफ़्लि-भात,

कोदू, झंगोरु, चैंसू-फाणू,

पळ्य़ो, गौथ कू गथ्वाणी जैन।



बाटु  कभि कै नी दिनी ढीस्वाळ,


थाम्णौ कै नि गै बिड़ाळ,

फुंड धोळी सी सेखि दिखैन, 

अप्णु मुल्क नी गाणी-माणी जैन।   



मतलब परैं सैदा-भैदा देखि, 

सदानि अप्णु फैदा देखि, 

छ्वीं मिसौंदु कैकी नी धैरी, 

कभी अप्णी अर बिराणी जैन।


 
अप्णौ का हरवक्त गौळा काट्या,

बिराणौ का सदानि तौळा चाट्या,

फूट्या आखोँ भी देखण नी चै,

अपणा पाह्डू की होणी-खाणी जैन।


 

करी सुद्दि-मुद्दिकी  स्याणि जैन, 

बिसरैयाली सब्बि धाणि‍ जैन, 

वू उत्तराखण्ड कु ह्वेनि सकदु,

अपणा मनखि नी पछ्याणि जैन। 


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