Thursday, May 21, 2009

ऐजा लछुली !

छोडीक मी तै यकुली,
तू किलै गै मैत लछुली
लै-पैरीक भेज्दु त्वैतै,
तू किलै गै चादरी मा,

खाणु-पेणु सब छुटयूँ च,
त्वै बिगर यख लछुली
भूखन यख मोरी-मोरीक,
मी बैठ्यु छौ खादरी मा !

बथों ह्वै, अर् ढ़ान्डू पडी,
बरखा मा सभी बौगी गिन
गुठ्यारा मा जू रख्यां छा,
जौ सुखौणोंकु मान्द्री मा,

इकेक दाणी करी कुत्र-कुत्र,
मूसौं न वू खै यालिन
ढयाप्रा मा जू रख्यां छा,
ग्यों पिसौणोंकु जान्द्री मा !

ओबरा बिटीकी भूखन,
बांजू भैंसू भी लारांदु,
डिग्चा भी ख़मडॉण लग्यां,
कुकुर-बिरालु जाजरी मा

यख त चूची कै सी भी अब,
त्वै बिगर रयेन्दु नी च
बौडीक अब ऐजा चूची,
रंगली-पिंगली घाघरी मा !

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