Monday, May 25, 2009

गढ़वाली गीत -अब ऐजा सुहा !

भेंटी जा दू मी तै सुहा, मेरा गौं का तीर मा
कब तक लुकौं चिट्ठी तेरी, काकर-सैतीर मा,

खै याली मीन भौत सुहा, विरह कु यु जैर
अब नी रयेंदु सुहा मीसी, और तेरा बगैर,

तु ऐजा अब बारात लीकी, ऐंसू का मंगसीर मा
कब तक लुकौं चिट्ठी तेरी, काकर-सैतीर मा,

फुकणी च दिन रात मी, जवानी की या झौल
बाली-तरुणी उमर सुहा, फिर नी राली भोल,

लप्स्या नि राली भोल, अर जान ये शरीर मा
लुकौं कब तलक चिट्ठी तेरी काकर-सैतीर मा

त्वै परै अटकी च साँस, त्वी छै मेरी आश
सहारू छै तुही एक मेरु, करी ना निराश,

और ना अब फिकर डाल, ये मेरा धीर मा
कब तक लुकौं छिट्टी तेरी,काकर-सैतीर मा,

भेंटी जा दू मी तै सुहा, मेरा गौं का तीर मा
कब तक लुकौं छिट्टी तेरी,काकर-सैतीर मा,

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